
शिकारी देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के जंजेहली (मंडी) में देखने के लिए एक महान और प्रसिद्ध स्थान है। यह मंदिर समुद्रतल से 3359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शिकारी देवी मंदिर जंजेहली से लगभग 18 किलोमीटर दूर एक बहुत घने जंगल के मध्य में स्थित है औरआपको यह जान कर बहुत खूशी होगी की यह स्थान एक जीप योग्य वन मार्ग से जुड़ा हुआ है।कहा जाता है कि मार्कंडेय ऋषि ने यहां वर्षों तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माँ दुर्गा को शक्ति के रूप में स्थापित किया गया था। यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने अपने "AGYATWAAS" के दौरान की थी। शिकारी देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के जंजेहली (मंडी) में अपनी अनूठी सुंदरता समेटे हुए है।यह जगह पूरी तरह से सुंदर हरे बागानों और देवदार के ऊंचे-ऊंचे वृक्षों,विशाल हरे-भरे खेत, बर्फ की पर्वतमाला से श्रद्धालुओं का मन मोह लेती है। काफी ऊंचाई पर होने के कारण यह स्थान सर्दीओ के दिनों में बर्फ से ढका हुआ रहता हैं।इसलिए अधिकतर श्रद्धालु गर्मियों के दिनों में शिकारी माँ के दर्शन के लिए यहाँ पहुंच पाते है।
शिकारी देवी की कहानी-shikari devi story
शिकारी देवी मंदिर एक बहुत घने जंगल के मध्य में स्थित है। अत्यधिक जंगल होने के कारण यहां जंगली जीव-जन्तु भी बहुतयात में हैं। जब पांडव अज्ञातवास के दौरान शिकारी देवी पहुंचे तो पांडव शिकारी देवी के घने जंगल मे शिकार के लिए निकल गए।शिकार के दौरान माता शिकारी देवी ने उन्हें दर्शन दिए। इसके बाद पांडवों ने माता का मंदिर बनाया और इस मंदिर का नाम शिकारी देवी पड़ा। पांडवों ने शक्ति रूप में विध्यमान माता की तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर माता ने उन्हें महाभारत के युद्ध में कौरवों से विजयी प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया। पांडवों यहां से जाते वक्त मां के मंदिर का निर्माण किया परन्तु यह कोई भी जानता कि आखिर इस मंदिर की छत का निर्माण पांडवों द्वारा क्यों नहीं किया गया।
माँ शिकारी देवी के अनसुलझे रहस्य-Unsolved mystery of shikari devi
- माँ शिकारी देवी का प्राचीनऔर ऐतिहासिक मंदिर कई अद्भुत और अनसुझे रहस्यों से भरा है। इस मंदिर के ऊपर छत का निर्माण न होना भी अपने आप में एक रहस्य ही बना हुआ है। लाखो प्रयत्नो के बाद भी मंदिर के छत का निर्माण नहीं हो पाया। कई बार मंदिर की छत बनाने का काम शुरू किया गया लेकिन हर बार कोशिश नाकाम रही।आज भी ये मंदिर छत के बिना ही है। इसे कोई चमत्कार समझे या फिर माँ शिकारी देवी की शक्ति।
- समुद्रतल से 3359 मीटर की ऊंचाई पर होने के कारण यह स्थान सर्दीओ के दिनों में अधिकतर बर्फ से ढका हुआ रहता हैं।लेकिन जब सर्दियों में बर्फ गिरती है तो मंदिर के आसपास ही गिरती है लेकिन मां की मूर्ति के ऊपर बर्फ टिक नहीं पाती और पिघल जाती है और मां की मूर्ति के आसपास बर्फ का ढेर लग जाता है।तो यह एक चमत्कार ही है ।दिव्य शक्ति (शिकारी देवी) ने अपनी उपस्थिति का प्रभाव इस क्षेत्र के लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कराकर उद्धार किया है। मान्यताओं के मुताबिक जो भी श्रद्धालु मां के दरबार में आकर मन्नत मांगता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।कोई भी श्रद्धालु मां के दरबार से खाली हाथ नहीं जाता है।
शिकारी देवी का मौसम-shikari devi weather
शिकारी देवी मंदिर कैसे पहुंचे-how to reach shikari devi
हबाई मार्ग से कैसे पहुंचे-how to reach by air
shikar devi का निकटतम हवाई अड्डा जिला कुल्लू के भुंतर में स्थित लगभग 118 किलोमीटर की दूरी पर है।
ट्रेन से कैसे पहुंचे-how to reach by air
shikar devi का निकटतम रेल लिंक जोगिंदर नगर में नैरो गेज लाइन है जो लगभग 152 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सड़कमार्ग से कैसे पहुंचे-how to reach by Road
जंजेहली -मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर नेरचौक से सड़क द्वारा पहुँचा जा सकता है।
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